काश मैं डॉक्टर होता

दोस्तों आज के इस लेख मैं मैंने अपनी जिंदगी के कुछ सत्य घटना और अपनी आँखों देखे पल साझा किए हैं । ये मेरी जिंदगी के बिताए हुये कुछ ऐसे पल हैं जिसे मैं जब सोचता हूँ तो मेरे मन मैं यही ख्याल  आता है कि काश मैं डॉक्टर होता तो आम जनता की सेवा मैं कोई कसर नहीं छोड़ता । परंतु किस्मत को कुछ और ही मंजूर था ।

इस दुनिया में अनेक प्रकार के आजीविका के साधन हैं । उनमें से कई साधन तो मानवीय दृष्टि से बड़े ही संवेदनशील हुआ करते हैं जिनका सीधा संबंध  मनुष्य की भावनाओं, उसके प्राणों तथा सारे जीवन के साथ हुआ करता है । डॉक्टर का धन्धा कुछ इसी प्रकार का पवित्र, मानवीय संवेदनाओं से युक्त, प्राण-दान और जीवन-रक्षा की दृष्टि से ईश्वर (अल्लाह) के बाद दूसरा परन्तु कभी-कभी तो ईश्वर (अल्लाह) के समान ही माना जाता है। क्योंकि ईश्वर (अल्लाह) तो इंसान को केवल जन्म देकर दुनिया में भेजने का काम करता है जबकि डॉक्टर के कन्धों पर उसके सारे जीवन की रक्षा का भार पड़ा होता है । यही सोचकर मेरे मन में बार – बार ये विचार आते कि काश मैं डॉक्टर होता और लोगों की सेवा करता ।

काश मैं डॉक्टर होता (Kash Main Doctor Hota)
काश मैं डॉक्टर होता (Kash Main Doctor Hota)

काश मैं डॉक्टर होता 

काश मैं डॉक्टर होता !

इन बातों को ध्यान में रखकर  मैं पहले यह सोचता था कि यदि मैं आने वाले समय में डॉक्टर बना तो समाज की सेवा कुछ ऐसे तरीके से करूँगा कि लोग सदियों तक मेरे नाम को ना भुला सके । लोगों के दिलों में कुछ ऐसी छाप छोड़कर जाऊँगा जिससे लोग प्रेरणा लेना पसंद करें । यही सोचकर मैंने भी बड़ा होकर डॉक्टर बनने का सपना देखा और अपने जीजा के पास डॉक्टरी सीखने के लिए चला गया । मेरे जीजा भी एक उपाधिधारक डॉक्टर हैं और उनके पास बहुत अच्छा अनुभव भी है । मैंने लगभग तीन साल तक उनके पास रहकर डॉक्टरी सीखी परंतु यह सब एक झोलछाप डॉक्टर के समान ही थी क्योकि मैंने वहाँ पर कई ऐसे मरीजों को देखा है जिनकी मृत्यु मेरी आँखों के सामने ही हुई परंतु कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार का विरोध उत्पन्न नहीं कर पाता था क्योंकि जीजा जी की उस इलाके में बहुत अच्छी पकड़ थी और उनकी ईमानदारी तथा समाज सेवा की सभी लोग तारीफ करते थे । मैंने भी  यह सोचकर एक उपाधि धारक डॉक्टर बनने का निश्चय किया परंतु घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मैं डॉक्टर न बन सका और डॉक्टर बनने की ख़्वाहिश मन की मन में ही दबकर रह गयी ।

यह बात तो सच है कि डॉक्टर का व्यवसाय तब तक ही पवित्र माना जाता है जब तक उसमें धन का लालच एवं हैवानियत का प्रभाव न आया हो । पहले तो लोग यहां तक कहते थे डॉक्टर केवल सेवा करने के लिए ही होता है, न कि पैसा कमाने के लिए । मैंने ऐसे कई डॉक्टरों के विषय में सुन रखा है जिन्होंने मानव-सेवा में अपना सारा जीवन लगा दिया तथा मरीजों को इसलिए नहीं मरने दिया क्योंकि उनके पास फीस देने या दवाई खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। धन्य हैं ऐसे डॉक्टर! यदि मैं डॉक्टर होता तो मैं भी ऐसा करने का प्रयत्न करता ।

सामान्यतया मैंने ऐसा पढ़ा तथा सुना है कि दूर-दराज के देहातों में डॉक्टरी-सेवा का बड़ा अभाव है । वहाँ  तरह-तरह की बीमारियां फैलती रहती हैं जिनके परिणामस्वरूप अनेक लोग बिना दवा के मर जाते हैं । वहां देहातों में डॉक्टरों के स्थान पर नीम-हकीमों का बोलबाला है या फिर झाड़-फूक करने वाले ओझा लोग बीमारी का भी इलाज करते हैं । ये नीम-हकीम तथा ओझा लोग इन देहाती लोगों को जो अशिक्षित, अनपढ़ व निर्धन हैं, उल्लू बनाकर दोनों हाथों से लूटते भी हैं और अपनी अज्ञानता से उनकी जान तक ले लेते हैं। यदि मैं डॉक्टर होता तो आवश्यकता पड़ने पर ऐसे ही देहातों में जाकर वहाँ के निवासियों की तरह-तरह की बीमारियों से रक्षा करता । साथ-ही-साथ उनको इन नीम-हकीम, झोलछाप  डॉक्टर तथा ओझाओं से भी छुटकारा दिलाने का प्रयत्न करता ।

आज के युग में प्रायः डॉक्टर अपने लिए धन-सम्पत्ति जुटाने में लगे रहते हैं। इसके लिए वे शहरों में रहकर बेचारे रोगियों को दोनों हाथों से लूटना प्रारम्भ कर देते हैं जो डॉक्टरी पेशे पर एक बदनुमा दाग है। ऐसा नहीं है कि हमें अपने और अपने परिवार के लिए धन-सम्पत्ति या सुख-सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है । सभी को इसकी आवश्यकता होती है, इसीलिए मैं भी धन-सम्पत्ति इकट्ठा तो करता परन्तु सच्ची सेवा द्वारा मानव-जाति को स्वस्थ रखना मेरे जीवन का ध्येय होता । यही डॉक्टरी पेशे की सबसे बड़ी उपलब्धि है ।

दोस्तो आपको मेरा यह लेख “काश मैं डॉक्टर होता” कैसा लगा ? अपनी प्रतिकृया से मुझे ज़रूर अवगत कराएं और यदि कोई सुझाव हो मुझे अवश्य लिखे । 

 

 

अपहरण

अतिथि सत्कार

 

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