फटी जेब के सपने

गाँव के किनारे एक टूटी-फूटी झोंपड़ी में 12 साल का अर्पित अपने माता-पिता के साथ रहता था। उसके पिता रघु खेतों में मजदूरी करते थे, और माँ पार्वती दूसरों के घरों में बर्तन मांजती थीं। गरीबी उनकी जिंदगी में ऐसी धँसी थी कि हर दिन एक नई चुनौती लेकर आता।

अर्पित की हालत इतनी दयनीय थी कि स्कूल जाने वाले बच्चों के बीच उसका मजाक बनता। “अरे, यह लड़का क्या करेगा? इसकी फटी जेब में तो सपने भी जगह नहीं पाते,” बच्चे उसे चिढ़ाते। अर्पित कुछ नहीं कहता, बस अपनी फटी हुई जेब पर नजर डालता और खुद से बुदबुदाता, “एक दिन मैं इस फटी जेब के साथ भी सपने पूरे करूँगा।”

फटी जेब के सपने

एक दिन, जब अर्पित अपने पिता के लिए खेत में पानी लेकर गया, तो उसने देखा कि पास के पेड़ के नीचे मास्टरजी बच्चों को पढ़ा रहे थे। वह धीरे-धीरे उनके पास गया और एक कोने में बैठकर सुनने लगा।
मास्टरजी ने उसकी ओर देखा और पूछा, “बेटा, तुम यहाँ क्यों बैठे हो?”
“मुझे भी पढ़ना है, लेकिन मेरे पास किताबें नहीं हैं। मेरी माँ कहती हैं कि पढ़ाई अमीरों के लिए होती है।”

मास्टरजी ने उसकी फटी हुई जेब और नंगे पैर देखकर कहा, “पढ़ाई अमीर-गरीब के लिए नहीं होती, यह तो हर किसी का हक है। तुम कल से यहाँ आकर पढ़ाई करो।”

अर्पित की आँखों में उम्मीद की चमक आ गई। उसने सोचा, “अब मेरी फटी जेब के सपने सच हो सकते हैं।”

कुछ ही दिनों बाद गाँव में सालाना मेला लगा। अर्पित के दोस्तों ने उसे चलने को कहा। उसने अपनी माँ से पैसे मांगे। माँ ने पुराने बर्तन बेचकर पाँच आने दिए।
“बेटा, इसे संभालकर रखना। यह हमारे पास बहुत मुश्किल से आया है,” माँ ने कहा।

अर्पित खुशी-खुशी मेले में गया। उसने मिठाई खरीदने की सोची। लेकिन जैसे ही उसने जेब में हाथ डाला, उसकी आँखों से आँसू निकल आए। उसकी फटी हुई जेब से पैसे गिर चुके थे। दोस्तों ने मजाक उड़ाया, “तुम्हारी जेब से तो सपने भी गिर जाते होंगे!”

उस दिन अर्पित ने तय किया कि वह अपनी फटी जेब को कमजोरी नहीं, ताकत बनाएगा।

अगले दिन अर्पित ने गाँव के किसान रामलाल से काम मांगा। रामलाल ने कहा, “अगर तुम मेरे खेत में दिनभर काम करोगे, तो मैं तुम्हें पाँच रुपए दूँगा।”
अर्पित ने कड़ी मेहनत की और शाम को पहली बार पाँच रुपए कमाए। वह दौड़ता हुआ मास्टरजी के पास गया और कहा, “मैंने अपनी पहली कमाई से किताब और पेंसिल खरीदी है। अब मैं पढ़ाई कर सकता हूँ।”

मास्टरजी मुस्कुराए और बोले, “यही है तुम्हारी फटी जेब के सपनों की शुरुआत।”

अर्पित का सपना सिर्फ गाँव में पढ़ाई तक सीमित नहीं था। उसने बड़े शहर जाने की इच्छा जताई।
“लेकिन शहर में कौन मदद करेगा?” माँ चिंतित थीं।
मास्टरजी ने कहा, “अर्पित की मेहनत को देखकर गाँववाले खुद मदद करेंगे।”

गाँववालों ने चंदा इकट्ठा किया और अर्पित को शहर भेजा। माँ ने जाते वक्त उसकी पोटली में रोटी और पानी के साथ फटी हुई पैंट डालते हुए कहा, “याद रखना, बेटा। यह फटी जेब तुम्हें हमेशा मेहनत की याद दिलाएगी।”

शहर पहुँचते ही अर्पित ने महसूस किया कि यहाँ की जिंदगी आसान नहीं थी। उसे एक ढाबे में बर्तन धोने का काम मिला।
ढाबे के मालिक, ठाकुरजी, ने पूछा, “तुम यहाँ क्या करने आए हो?”
“मैं पढ़ाई करना चाहता हूँ,” अर्पित ने दृढ़ता से कहा।
ठाकुरजी ने उसे काम पर रख लिया और कहा, “दिनभर काम करना, लेकिन रात को पढ़ाई मत छोड़ना।”

अर्पित दिनभर काम करता और रात में सरकारी स्कूल के बाहर बैठकर पढ़ाई करता। उसकी फटी हुई जेब अब भी उसकी साथी थी।

शहर में रहते हुए अर्पित की मुलाकात रामू से हुई, जो खुद भी गरीब था।
“तुम्हारी जेब तो मेरी जेब से ज्यादा फटी है,” रामू ने मजाक किया।
अर्पित मुस्कुराया और कहा, “हमारी फटी जेबें हमें हमारी ताकत दिखाती हैं। एक दिन यही हमें ऊँचाई तक ले जाएँगी।”

दोनों दोस्तों ने मिलकर पढ़ाई शुरू की और एक-दूसरे की मदद की।

कई सालों की मेहनत के बाद अर्पित ने शिक्षक बनने की परीक्षा पास की। जब उसे पहली तनख्वाह मिली, तो उसने अपनी पुरानी फटी हुई पैंट निकाली और कहा, “तुमने मुझे सिखाया कि सपने पूरे करने के लिए सिर्फ हौसला चाहिए।”

अर्पित अपने गाँव लौटा और वहाँ के बच्चों के लिए एक स्कूल खोला। उसने कहा, “मेरी तरह कोई बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा।”
गाँववाले अर्पित को देखकर गर्व से कहते, “यह लड़का साबित करता है कि फटी जेब भी बड़े सपनों को जन्म दे सकती है।”

अर्पित ने अपनी पुरानी फटी हुई पैंट को स्कूल में एक जगह टाँग दिया। वह बच्चों को बताता, “यह मेरी ताकत है। यह मेरी मेहनत और संघर्ष की कहानी कहती है।”

अब गाँव के हर बच्चे के पास सपने थे, और उन सपनों को पूरा करने का जुनून भी।

निष्कर्ष

कहानी “फटी जेब के सपने” यह सिखाती है कि गरीबी और कठिनाइयाँ कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकतीं। अर्पित ने अपनी फटी हुई जेब को कमजोरी नहीं, बल्कि प्रेरणा बनाया और अपने सपनों को साकार किया। उसकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने संघर्षों से जूझ रहा है।

अधूरी खुशियाँ

वक्त की ठोकर

अनजान मुसाफिर

Leave a Comment

error: Content is protected !!